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मध्यप्रदेश।
२९५ आधीन है जिससे वहां जानेवाले लोगोंको चौकीदारको इत्तला देना पडता है । यहांसे श्रीसिद्धक्षेत्र नैनागिरजी ९ मील है परन्तु रास्ता पहाड़ी है।
यहांका देशी कागज अच्छा बनता है और दूर २ विकनेको जाता है । व्यापार तिलके वीज, घी यहांसे दमोह और बन्डाको जाते हैं और वहांसे गुड शक्कर आदि किराना और कपड़ा यहां आकर विकता है। जंगल इस गांवके चारों ओर है। तेदुआं बहुत रहते हैं।
इस गांवमें औट पोस्टके पास गाजीमियांका मेला लगता है । इस गांवसे वायव्यमें एक मीलके अंतरपर भी दाहने पहाडपर एक चबूतरा चूनेका बना हुआ है जिसकी राजा छत्रसालकी बैठक कहते हैं ।
पटेरा।
. यह ग्राम जिला दमोहमें हटासे १३ मील आग्नेयकी ओर है। और दमोह स्टेशन (G. I. P. Ry.) से ईशानमें १५ मील है। यहांपर दिगम्बर जौनयोंके गृह १३ जिसमें मनुष्य संख्या ५२ है तथा १ शिखरवन्द मन्दिर और ३ चैत्यालय हैं । ___ यहां कांसेकी थाली और पीतलके वर्तन अच्छे बनाये जाते हैं तथा वंगडी, कासे पीतलके वर्तन और तमाकूका विशेष व्यापार होता है। इस ग्राममें प्राथमिक शिक्षणके लिये दो शाला हैं जिनमें ७० विद्यार्थी और कई विद्यार्थीनी पढ़ते हैं। ग्रामका प्रवन्धकर्ता एक परवार वनिया है। इस ग्रामसे २ मीलकी दूरीपर श्री अतिशय क्षेत्र कुंडलपुरजी है जिसका विशेष वर्णन अन्यत्र उध्दृत है।
पन्ना।
यह नगरी बुदेलखंडमें स्थित पन्ना राज्यकी राजधानी है जो कि चारों ओर विंध्याचल पर्वतकी सुरम्य श्रेणियोंसे घिरी हुई है यहाँका राजा महाराज छत्रसालका वंशज है।
यहांपर दिगम्बर जैनियोंके गृह २९ हैं जिनमें करीव १६० मनुष्यसंख्या है वथा २ शिखरवन्द मन्दिर और १ धर्मशाला है । मन्दिरमें अनुमान ६० धर्मशास्त्र हैं ।