________________
नेमिनाथ
".
२९४
मध्यप्रदेश।
भैयालाल मलैया आदिनाथ
चौधरी भगवानदास नेमिनाथ
चौधरी कोरेलाल श्रेयांसनाथ
१८४८ , भगवानदास , आदिनाथ
चौधरी वंशीधर गर्भस्थानके मंदिरकी दिवाले फट गई हैं मरम्मतकी जुरूरत है, अयोध्याके मंदिरोंका प्रबन्ध लाला देवीदासजी अग्रवाल लखनऊवाले देखते हैं और रत्नपुरीका हिसाब बाबु महेशप्रसाद, कचेरी गोंडा (B. N. W. Ry.) स्टेशनके पास रहता है, यात्री सालभरमें करीब एक हजार आते हैं.
पंचमनगर।
यह ग्राम जिला दमोहमें ग्रेट इन्डियन पेनिन्शुला रेल्वेका पठरिया स्टेशनसे निकट बेवस नदीके किनारेपर है । इसे 'गढाकोटाके राजा हिरदेशाहकी रानी मुसम्मात पांचोने निहायतं ऊंचाई पर बसाया था इसीलिये इसका नाम पञ्चमनगर हुआ है। हिरदेशाहके पिताजी राजा छत्रसालने पंचमनगर और हटाके दरम्यान २० कोसं लम्बी एक पत्थरोंकी दीवाल शत्रुओंकी रोकके लिये बनवाई थी उसका निशान अबतक मौजूद हैं । पहले यह ग्राम बहुत आबाद था परन्तु अब उजाड़ हो गया है। यहां प्राचीन कालमें जैनियोंकी बहुत बस्ती थी जिसके असरसे यहाँके निवासी वैश्य, मुसमान, तेली, कोरी आदि परस्पर" जुहार" शब्द व्यवहारमें बोलते हैं और चालचलन महाजनी है । हालमें यहां दिगम्बर जैनियोंके २८ गृह हैं जिनमें मनुष्यसंख्या ११३ है । यहांपर बस्ती में एक चैत्यालय तथा २ शिखरबन्द मन्दिर है, जिनमें सहस्त्रावधि प्रतिमा मौजूद हैं । और भी बस्तीमें १ शिखरबन्द मन्दिर तथा एक चैत्यालय उजाड हो रहा हैं जिसका कारण जैनियोंकी क्षीणता है । पूजन प्रक्षाल गांवके लोग करते हैं। बस्तीके बाहर नदीके किनारे गांवसे पश्चिमकी ओर एक १७ वीं सदका बना हुआ दि. जैन मन्दिर है जिसको धीरता सिंगई नामक एक धर्मात्माने बनवाया था । यह मन्दिर सुदृढ़ बना हुआ है और चारों ओर परकोटा घिरा हुआ है। प्रतिमाएं सब खण्डित हो गई हैं। स्थानीय जैनी भाई “दशलाक्षणी पर्व " में दर्शन पूजानार्थ जाते हैं। जिस जगहमें यह मन्दिर है, वर्तमानमें वह जगह सरकारी महकमें बनविभागके (Under the control of the reserved Forest Department, Damoha Division.)