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________________ [३८७] नारक-वर्णन स्पष्ट पुद्गल दो प्रकार के होते हैं-श्रवगाढ़ अर्थात् जिन प्रदेशों में श्रात्मा हो उन्हीं प्रदेशों में रहे हुए पुद्गल, और अनवगाढ़ अर्थात् भिन्न प्रदेशों में रह हुए पुद्गल । इन दो प्रकार के पुद्गलों में से नारकी जीव किस प्रकार के पुद्गलों का आहार करते हैं ? इस प्रश्न का उत्तर यह दिया गया है कि नारकी जीव अवगाढ़ पुद्गलों का आहार करते हैं, अनवगाढ़ का नहीं । तात्पर्य यह है कि जो पुद्गल शरीर के संबंध में तो आये, लेकिन श्रात्मा के साथ एकमेक नहीं हुए, उनका श्राहार नहीं किया जा सकता। गौतम स्वामी-भगवन् ! नारकी जीव अगर अव. गाढ़ पुद्गलों का आहार करते हैं तो साक्षात् अवगाढ़ पुद्गलों का आहार करते है या परम्परा अवगाढ़ पुद्गलों का? भगवान्- हे गौतम ! साक्षात् अवगाढ़ पुद्गलों का श्राहार करते हैं, परम्परा-श्रवगाढ़ पुद्गलों का नहीं। , गौतम स्वामी भगवन् ! क्षेत्र से साक्षात् अवगाढ़ पुद्गलों का आहार करते हैं या काल से साक्षात् अवगाढ़ पुद्गलों का? भगवान् महावार-दोनों से। गौतम-- भगवान् ! नारकी जीव अगर साक्षात् अवगाढ़ पुद्गलों का आहार करते हैं, परम्परा-अवगाढ़ पुद्गलों का नहीं करते तो वे छोटे पुद्गलों का आहार करते हैं या वड़े पुद्गलों का? - भगवान:-छोटे पुद्गलों का भी और बड़े पुद्गलों का भी।
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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