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इसमावर्ण बाल पुदगार विशेष की और विशेष का
श्रीभगवती सूत्र
[३८५] नारकी जीव काल की अपेक्षा जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट स्थिति वाल पुद्गलों में से किन्हीं भी पुद्गलों का आहार करते हैं।
नारकी जीव भाव की अपेक्षा वर्ण वाले, गंध वाले, रस वाले और स्पर्श वाले पुद्गलों का आहार करते हैं।
गौतम स्वामी फिर प्रश्न करते हैं-भगवन् ! नारकी वर्ण वाले पुद्गलों का आहार करते हैं तो एक ही वर्ण के पुद्गलों का आहार करते हैं या पंच वर्ण वाले पुद्गलों का आहार करते हैं ?
इस प्रश्न का उत्तर भगवान् ने फरमायाहे-हे गौतम! नारकी पाँचों वर्ण वाले पुद्गलों का श्राहार करते हैं। इस प्रश्न के उत्तर में सामान्य और विशेष को विवक्षा की गई है। सामान्य को स्थानगमन भी कहते हैं और विशेष का विधानगमन नाम भी है। स्थानगमन अर्थात् सामान्य की अपेक्षा एक वर्ण वाल पुद्गल का भी आहार करते हैं और दो वर्ण वाले पुद्गल का भी आहार करते हैं। विधानगमन अर्थात् विशेष की अपेक्षा से अशेष-पाँचों प्रकार के पुद्गलों का श्राहार करते हैं।
गौतम स्वामी फिर प्रश्न करते हैं-'भगवन् ! आपने 'काले पुद्गल का आहार करना कहा है तो नारकी: जीव एक गुण कालें पुद्गल का आहार करते हैं, या दस गुण काले पुद्गल का आहार करते हैं, 'या संख्यात, असंख्यात अनन्त गुंण काले पुद्गल का आहार करते हैं ?
भगवान् ने उत्तर दिया-गौतम ! निश्चय में कोई एक गुण काला होता है, कोई दोगुण काला होताहै, कोई दस गुण