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श्रीभगवती सूत्र
[३२] बुद्धि पूर्वक-संकल्प द्वारा नहीं रोका जा सकता। दूसरा इच्छापूर्वक जो श्राहार होता है, उसकी इच्छा कम से कम असंख्यात समय में होती है।
प्रश्न-असंख्यात समय कहने से काल की कोई निश्चित मर्यादा नहीं प्रतीत होती। एक उत्सर्पिणी या अवसर्पिणी काल • में भी असंख्यात समय होते हैं और आँख बंद कर
खोलने में भी असंख्यात समय होते हैं। ऐसी अनिश्चित संख्या बतलाने से क्या समझना चाहिए ?
उत्तर-यहां असंख्यात समय एक अन्तर्मुहूर्त प्रमाण लेना चाहिए । अर्थात् नारकी जीवों को अन्तर्मुहूर्त में प्राभोग निर्वार्त्तत श्राहार की इच्छा होती है। - एक दिन-रात में ३० मुहूर्त होते हैं। मुहूर्त प्रमाण समय में कुछ कम समय को अन्तर्मुहूर्त कहते हैं । अन्तर्मुहर्त्त में असंख्यात समय होते हैं । इस असंख्यात समय वाले अन्तर्मुहूर्त के भी असंख्य भेद हैं। किसी अन्तर्मुहूर्त में थोड़ा समय होता है, किसी में ज्यादा होता है। लेकिन असंख्यात समय, अन्तर्मुहूर्त के सिवाय दूसरे को नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न-नारकी जीवों को अन्तर्मुहूर्त में आहार की इच्छा . होती है तो क्या इतनी देर तक उनकी भूख मिटी रहती - है ? इतनी देर तक वह तृप्त रहते है ? . .
. उत्तर-ऐसा नहीं है। छझस्थ को एक इच्छा के बाद जब दूसरी इच्छा होती है तो उसमें असंख्यात समय लग हीजाते हैं।'क' अक्षर का उच्चारण करने के बाद 'ख' का उच्चारण