SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'श्रीभगवती सूत्र [३७६] मित्रो! गरीवों पर घुसा पाना ही नरक है । संसार की ऐसी स्थिति हो रही है कि जो धन पैतृक है, उसकी अस्थिरता बैंकों के बंद होने से दिखाई दे रही है, फिर भी सुकृत नहीं सूझता । लक्ष्मी और जीवन की चपलता को जानते हुए भी लोगों के जीवन का एक मात्र साध्य धन वन रहा है। गौतम स्वामी ने श्वासोच्छ्वास के पश्चात् नारको जीवों के आहार के विषय में प्रश्न किया है। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान् ने बतलाया है कि नरक के जीवों को भी आहार की इच्छा होती है । तत्पश्चात् गौतम स्वामी पूछते हैं-'नरक के जीव अाहार किस प्रकार लेते हैं ? भगवान् ने कहा-प्रशापना सूत्र में आहार नामक अट्ठाइसवाँ पद है। उसके पहले उद्देशक में इस विषय का वर्णन किया गया है। ..उसमें नरक के जीवों के अतिरिक्त अन्यान्य जीवों के भी आहार का वर्णन किया गया है। __. साधारणतया विचार करने से रह समझ में नहीं आता कि ऐसे-ऐसे प्रश्नोत्तर करने से गौतम स्वामी और • भगवान् महावीर ने क्या लाभ सोचा होगा ! उन्हें नरक के जीवों के आहार को जानने एवं वताने की क्या आवश्यकता थी? लेकिन भगवान ने नरक के जीवों के आहार के ४० द्वार बतलाये हैं । यह उन महान् पुरुष की असीम करूणा है । जिन ‘जीवों के आहार का वर्णन किया है, उन्हें चाहे अपने आहार की बात इतनी स्पष्ट रूप से ज्ञात न हो, लेकिन शानियों की 'दृष्टि से वह छिपी नहीं है । उन्होंने अज्ञ जनों को समझाने के लिए यह सब वर्णन किया है।
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy