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________________ [३३१] भगवान् का उत्तर प्रश्न-'जाव' शब्द कहने की क्या आवश्यकता है ? उत्तर- पाठ का संकोच करने के लिए 'जाव' शब्द कहा गया है । 'चलमाणे चलिए' कहकर यह प्रश्न का प्रथम पद "णिजरिजमाणे णिजिएणे' यह अंतिम पद कहा गया है और 'जाव' शब्द से बीच के सव पदों का ग्रहण हो जाता है। इन पदों की व्याख्या समाप्त करते हुए श्राचार्य कहते है कि यह नौ पद कर्म के विषय में कहे गये हैं । कर्मों के ही संबंध में यहां विचार किया गया है । यहां मुख्य प्रश्न यह था कि वर्तमान के लिए भूतकाल का निर्देश करना क्या उचित है ? गौतम स्वामी ने इसी जिज्ञासा से यह प्रश्न किये थे। भगवान् ने उत्तर में कहा-हाँ गौतम ! यह ठीक है। - इस विषय में कुछ व्यावहारिक विवेचन की आवश्यकता है । संक्षेप में कुछ प्रकाश डाला जाता है 'यहाँ मोक्ष प्राप्ति के नौ पद कहे हैं। मगर देखना चाहिए कि मोक्ष क्या चीज़ है ? मोक्ष को जानने के लिए बंधन को जानना श्रावश्यक है। मोक्ष का अर्थ है-बंधन से छूटना। जब तक धंधन को भली-भाँति न जान लिया जाय, तब तक मोक्ष को भली-भाँति नहीं जाना जा सकता। लोग काम करने से पहले फल का विचार करते हैं। कार्य चाहे पूरा न हो मगर फल पहले ही मिल जाना चाहिए। अगर तत्काल फल न मिला तो उनकी निराशा का पार नहीं रहता। किन्तु ज्ञानीजनों का कथन यह है कि फल न दिखने से घबरामो मत । कार्य करना ही अपना कर्त्तव्य समझो, फल
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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