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चलमाणे चलिए - शुभ कर्म को अशुभ कप में और अशुभ को शुभ रूप में परिणत करना कर्म का भेदन करना कहलाता है। जैसे कच्चा श्राम खाद में खट्टा होता है, मगर उसे ठीक तरह रखकर पका लिया जाय तो मीठा हो जाता है। ग्राम में यह मिठास कहीं बाहर से नहीं आती-यह आम का 'भिद्यमान' होना है । इसी आम को ज्यादा देर तक दवा रक्खा जाय तो वह सड़ जाता है । जैसे श्राम में नाना अवस्थाएँ उत्पन्न होती हैं, उसी प्रकार कर्म में भी अनेक अवस्थाएँ उत्पन्न और विनष्ट होती रहती हैं। मान लीजिए किसी जीव ने शुभ कर्मों का वंध किया, लेकिन बाद में ऐसा कुछ हो गया कि वे शुभ कर्म अशुभ हो गये । इसी प्रकार अशुभ कर्म, उपकरण द्वारा शुभ हो गये । ऐसा होना कर्म का भिद्यमान होना कहलाता है । तात्पर्य यह है कि बुरे का अच्छा हो जाना और अच्छे का बुरा हो जानाभेदन करना कहलाता है।
___ बचे हुए कमों में तीन प्रकार से भेदन होता है रसघात स्थितिघात और प्रदेशघात । तीन रस को मंद रस, मंद रस को तीन रस रूप परिणत करना, अल्पकालीन स्थिति को दीर्घकालीन करना और दीर्घकालीन स्थिति को अल्पकालीन करना, बहुत प्रदेशों को अल्प प्रदेश रूप और अल्प प्रदेशों को बहुत प्रदेश रूप में परितात करना, यह सव कर्मों का भिद्यमान होना है। यह भेदन रस, प्रदेश और स्थिति तीनों में होता है।
कर्म में यह परिवर्चन कैसे हो सकता है ? इस प्रश्न का उत्तर यह है. कि जैसे राजा प्रदेशी का हुआ था और जसे कुण्डरीक तथा पुण्डरीक का हुआ था। प्रदेशी का वृत्ता. न्त बतलाया जा चुका है। कुण्डरीक ने हजार वर्ष तक