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असुर कुमारादि की समानता १
समाधान - देवों का प्रधान आहार मानसिक ही होता है। वे विशेष तया मानसिक आहार ही करते हैं और शास्त्र मैं विशेष की बात ली जाती है। अतएव देवों को मानसिक आहारी कहा है।
अल्प शरीरी और महाशरीरी का अल्पाहार तथा महाश्राहार धपेक्षा से ही है किसी असुरकुमार का शरीर सात हाथ का है और किसी का छह हाथ का । सात हाथ वाले की अपेक्षा छह हाथ वाले का आहार कम है, परन्तु पांच हाथ वाले की अपेक्षा छह हाथ वाले का अधिक है । इस प्रकार का कम अधिक होना अपेक्षाकृत ही है ।
शंका- सुरकुमार का श्राहार चतुर्थ भक्त का और श्वासोच्छवास सात स्तोक में कहा है । फिर यहां बार-बार श्राहार और उच्छ्वास क्यों कहा ?
समाधान - बार-बार का आहार भी अपेक्षाकृत ही समझना चाहिए । एक असुरकुमार चतुर्थ भक्त अर्थात् एक दिन के अन्तर से आहार करता है और दूसरा हजार वर्ष में एक बार श्राहार करता है । हजार वर्ष में एक बार श्राहार करने वाले की अपेक्षा एक दिन के अन्तर से आहार करने वाला बार-बार प्रहार करता है और पांच दिन में आहार करने वाला कदाचित् श्राहार करता है । लोक में भी ऐसा ही व्यवहार होता है । यही बात श्वासोच्छ्वास के संबंध में भी समझनी चाहिए। कोई सात स्तोक में श्वास लेता है औौर कोई एक वक्त में श्वास लेता है। पक्ष में एक बार उच्श्वास लेने वाले की अपेक्षा सात स्तोक में श्वास लेने वाला वार-वार श्वास लेता है।
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