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________________ [६२९] समवेदनादि प्रश्नोत्तर भंगवान् फर्मातें हैं-सम्यग्दृष्टि को पहली चार क्रियाएँ लगती है, मिथ्यादर्शन की क्रिया नहीं लगती है।' यहाँ यह विचारणीय है कि नरयिकों के पास हल, . कुदाली श्रादि प्रारंभ के साधन विद्यमान नहीं हैं, फिर भी उन्हें प्रारंभिंकी क्रिया क्यों लगती है ?. उन्हें इस क्रिया के लगने का कारण उपयोग का अभाव है। बाह्य परिग्रह भी . उनके पास नहीं है, पर ममता के कारण परिग्रहिकी क्रिया उन्हें लगती है । नरक के जीव घोर दुःख में पड़े हैं। वे मायाचार क्या करते हैं ? मगर वे क्रोध करते हैं, इस कारण मायावत्तिया क्रिया उन्हें लगती है। उन्हें भोग-विलास प्राप्त नहीं हैं और न प्राप्त होने की अनुकूलता ही है, लेकिन उन -: में मोह विद्यमान है और अप्रत्याख्यानावरण कपाय का क्षयो पंशम नहीं हुआ है, इस कारण वह प्रत्याख्यान नहीं कर सकते। प्रत्याख्यान न करने से उन्हें अप्रत्याख्यान क्रिया लगती है। - शंका-शास्त्र में मिथ्यात्व, अविरति,प्रमाद, कषाय और योग को कर्मबंध का कारण बतलाया है। मगर यहाँ प्रारंभ आदि को कर्मबंध का कारण कहा है। सो दोनों कथन परस्पर 'विरोधी क्यों न माने जाएँ? . समाधान-दोनों कथनों में तात्विक विरोध तनिक भी नहीं है । एक जगह योग को कारण कहा है, दूसरी जगह 'प्रारम्भ-परिग्रह को कारण बतलाया है। यह दोनों योग के • अन्तर्गत है । शष दोनों ओर तीन-तीन रहे। एक ओर मिथ्यात्व, अविरति और कषाय है, दूसरी ओर मिथ्यादर्शन,
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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