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________________ श्रीभगवती सूत्र. [२८] का उत्तर यह है कि शास्त्र रखना जीत-श्राचार है भगवान ने कहा है कि पाँच प्राचार्य मिल कर जिस श्राचार की स्थापना करें और जो लोक एवं लोकोत्तर व्यवहार के विरुद्ध न हो वह '. जीत-व्यवहार कहलाता है। इस प्रकार ले स्थापित किया । हुआ श्राचार प्रामाणिक होता है। तीसरी क्रिया मायाप्रत्यायिकी है। सरलता का भाव न होना-कुटिलता का होना माया है। क्रोध और मान आदि कषाय.माया के उपलक्षण है, अतएव इनकी गणना भी माया में ही समझना चाहिए । अतपंवः काम, क्रोध, मान, मोह आदि माया के अन्तर्गत है । काम, क्रोध आदि के निमित्त से मायावत्तिया (मायाप्रत्ययिकी) क्रिया होती है। चौथी क्रिया अप्रत्याख्यान क्रिया है। कर्म बंध के कारण का त्यागन करना अप्रत्याख्यान किया है। __ कई लोगों का. कथन है कि अगर हम जान-बूझकर कोई काम नहीं करते, अनजाने में कोई काम हो जाता है, तब क्रियां कैसें. लग. सकती है ? इसका समाधान: यह है कि गफलत के कारण क्रिया लगती है:। गफलत न करके, अगर मर्यादा करली.जाय तो क्रिया नहीं लगती। गफलत करने वाले को सजा मिलती ही है। · पाँचवी मिथ्यादर्शन किया है.।.अजीव को.जीव, जीव. कों अजीव, धर्म को अधर्म, अधर्म को धर्म, साधु को असाधुः और अंसाधु को साधु समझना, इस प्रकार विपरीत अष्टिः होना मिथ्यादर्शन हैं। इसके निमित्त से लगने वाली क्रिया मिथ्यादर्शन क्रिया कहलाती है।
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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