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________________ [ ६०३ ] आहार उनका अधिक होता है । इसी प्रकार अन्यत्र भी इस क्रम में अन्तर देखा जाता है । ऐसा होने पर भी प्रायः यह सत्य ही है कि बड़े शरीर वाले का आहार अधिक होता है । अपवाद सभी जगह पाये जाते हैं, मगर सामान्य विधान भी होते ही हैं । प्रस्तुत कथन बहुतों को दृष्टि में रखकर ही किया गया है । श्रतएव बड़े शरीर वाला नारकी अधिक आहार करता हैं और छोटे शरीर वाला थोड़ा आहार करता है । कदाचित् नैरयिकों में भी आहार और शरीर का व्यतिक्रम कहीं पाया जाय, तो भी बहुतों की अपेक्षा यह कथन होने से निर्दोष है । नारकी जीव समान है ? 1 नरक के उन जीवों को, जो छोटे शरीर में उत्पन्न होते हैं, महात्रास नहीं होता और कुछ साता भी मिलती है । महा-'शरीर वाले नारकियों को क्षुधा की वेदना भी अधिक होती है और ताड़ना तथा क्षेत्र श्रादि से उत्पन्न होने वाली पीड़ा भी अधिक होती है। बड़े को जितनी ताड़ना होती है, उतनी छोटे को नहीं । यह कथन प्रसिद्ध ही है कि हाथी के पैर के नीचे और जीव तो दबकर मर जाते हैं, परन्तु चींटी प्रायः वच जाती है । बड़े शरीर वालों का श्राहार भी बहुत होता है और परिणमन भी बहुत होता है । यह परिणमन श्राहार की अपेक्षा से हैं । इसी प्रकार बड़े शरीर वाले नैरयिक श्वास में. बहुत पुद्गल ग्रहण भी करते हैं और निश्वास में बहुत पुगलों को छोड़ते भी हैं। बड़े शरीर वाले को वेदना ज्यादा होती है इस कारण उन्हें श्वासोच्छ्वास भी ज्यादा लेना पड़ता है । छोट शरीर वाले को दुःख कम होता है, अतः उनका श्वासोच्छ्वास भी कम होता है । 3
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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