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________________ श्रीभगवती सूत्र [६०२ भी पहले क्तलाई गई है और आहार का प्रश्न यद्यपि पहला था, तथापि उसका उत्तर पीछे दिया गया है। ... बड़े शरीर वाला नैरयिक बहुत पुद्गलों का आहार करता है और छोटे शरीर वाला कम पुद्गलों का । यहां भी यही बात देखी जाती है कि बड़े शरीर वाला अधिक खाता है और छोटे शरीर वाला कम । इसके लिए हाथी और शशक (खरगोश) का उदाहरण दिया जा सकता है। ... आहार का यह परिमाणभीसापेक्ष ही समझना चाहिए। अर्थात् बड़े शरीर वाले के आहार की अपेक्षा छोटे शरीर वाले का आहार कम है, और छोटे शरीर वाले के आहार की अपेक्षा बड़े शरीर वाले नारकी का आहार अधिक है। . यहां यह तर्क किया जा सकता है कि आपने इस लोक के प्राणियों का.जो उदाहरण दिया है सो उससे कोई निश्चित नियम सिद्ध नहीं होता.। कभी-कभी यह देखा जाता कि छोटे शरीर वाला बहुत आहार करता है और बड़े शरीर वाला कोई प्राणी अल्प आहार करता है। ऐसी अवस्था में श्राप का दृष्टान्त कैलै घट सकता है ? .. " इसका समाधान यह है कि बहुत-सी बातें प्रायिक कथन रूप होती हैं अर्थात् वहुत-अधिकांश-को दृष्टि में रख कर कही जाती हैं। कहीं-कहीं यह बात अवश्य देखी जाती है कि बड़े शरीर वाला कम.और छोटे शरीर वाला अधिक आहार करता है । जुगलियों का शरीर अन्य मनुष्यों की अपेक्षा बड़ा होता है; लेकिन प्राहार उनका कम होता है। दूसरे मनुष्यों का शरीर जुगलियों की अपेक्षा छोटा होता है, मगर
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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