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उपसंहार
मूलपाठसेवं भंते! सेवं भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति, नमसति, वंदित्ता, नमंसित्ता, संजमेणं, तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरड्।
संस्कृत-छाया-तदेवं भगवन् ! तदेवं भगवन् ! इति भगवान गौतमः श्रमगं भगवन्तं महावीरं वन्दते, नमस्यति, वन्दित्वा नमस्थित्या संयमेन तपसाऽऽत्मानं भावयन् विहरति ।
मुलार्थ-हे भगवन्! यह इसी प्रकार है, यह इसी प्रकार है, ऐसा कह कर भगवान् गौतम, श्रमण भगवान् महावीर को बन्दना करते हैं, नमस्कार करते है, वन्दनानमस्कार करके संयम तथा तप से यात्मा को भांवित करते हुए विचरते हैं।