SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [२५] चलमाणे चलिए . मान लीजिए कोई महिला रोटी बनाना चाहती है। रोटी बनाना साध्य है तो उसके लिए साधनों का होना अनि- . वार्य आवश्यक है । चकला, वेलन, आटा, अग्नि आदि रोटी बनने के साधनों को सामग्री कहते हैं । यह साधन सामग्री होगी तभी रोटी वनेगी। इसी प्रकार प्रत्येक कार्य में साधन की आवश्यकता है । जैसा मनुष्य का साध्य होगा, वैसा ही उसे पुरुषार्थ भी करना पड़ता है । उसके अनुकूल ही साधन करने पड़ते हैं। मोक्ष रूप साध्य के लिए सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान और सम्यक्-चारित्र रूप साधनों की आवश्यकता है। जैसे श्राटा, अग्नि, आदि सामग्री के विना रोटी नहीं बन सकती, उसी प्रकार सम्यग्दर्शन आदि सामग्री के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। इससे यह सावित होता है कि मोक्ष रूप साध्य के साधन सम्यक्-दर्शन, सम्यक्-ज्ञान और. सम्यक्चारित्र हैं। साध्य के अनुकूल साधन और साधन के अनुसार साध्य होता है। अन्य जाति का कारण अन्यजातीय कार्य को उत्पन्न नहीं कर सकता। अगर किसी को खीर वनानी है तो उसे दूध, शकर और चावल का उपयोग करना होगा। इसके वदले अगर कोई नमक-मिर्च इकट्ठा करने बैठ जाय तो खीर नहीं बनेगी । तात्पर्य यह है कि साध्य के अनुकूल ही साधन जुटाने चाहिए। साध्य के अनुसार साधन जुटाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता है। खीर बनाने वाले को जानना चाहिए कि खीर के लिए दूध, शक्कर आदि की आवश्यकता है और.
SR No.010494
Book TitleBhagavati Sutra par Vyakhyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherSadhumargi Jain Shravak Mandal Ratlam
Publication Year1947
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy