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दण्डक-व्याख्यान
हृष्ट हो, बहुत बूढ़ा न हो, शोक-चिन्ता वाला न हो, रुग्ण न हो । ऐसे मनुष्य के एक श्वास और उच्छ्वास को प्राण कहते हैं । सात प्राण का एक स्तोक होता है । सात स्तोक का लव होता है और सतचर लव का एक मुहूर्च होता है।
काल के लौकिक माप पराधीन हैं। आज घड़ी से काल का माप होता है, लेकिन घड़ी टूट जाय तोक्या किया जाएगा? शानियों का कथन है कि प्रकृति स्वयं काल नापती है, उसे समझ लेना चाहिए । अनुयोग द्वार सूत्र में प्रकृति का माप सरसों नादि से बतलाया है।
जो माप किसी और के आश्रित नहीं है, किन्तु प्रकृति के श्राश्रित है, वह लोकोचर माप है। दुनिया अपनी स्वतंअसा को त्याग कर परतंत्रता के माप में पड़ रही है, लेकिन अन्त में प्रकृति का आश्रय लेना ही पड़ता है।
ऊपर मुहूर्त का परिमाण बतलाया गया है। तीस मुहर्त का अहोरात्र और पंद्रह अहोरात्र का पक्ष (पखवाड़ा) होता है । एक मास में दो पक्ष होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महीने में कम-ज्यादा दिन हो जाते हैं, इसलिए पत्त में भी कम-ज्यादा होते हैं । अाजकल संवत्सरी पर्व ज्योतिष के हिसाब से माना जाता है, इसी कारण कोई कभी और कोई कभी मनाता है, लेकिन शास्त्रकारों ने काल के माप के लिए पाँच संवत्सर अलग कर दिये हैं। शास्त्र में कहा है कि ७७ लव का एक मुहूर्त होता है, ३० मुहर्च का एक दिनगत होता है, १५ दिन-रात का एक पक्ष और ३० दिन-रात का एक मास होता है। इस काल-पणना में किसी प्रकार की गड़बड़ नहीं पड़ती।