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श्रीभगवती सूत्र :
[२४] काल-गणना की अनेक विधियाँ प्रचलित हैं। अंगरेज लोग काल मापने के लिए ज्योतिष के सहारे नहीं रहे। उन्होंने अपनी तारीखें नियत कर ली है और चार वर्ष में एक दिन वढ़ा दिया है।
अगर हमारे यहां जीत व्यवहार से ऐसा कोई नियम वना दिया जाय तो संवत्सरी आदि में कोई अन्तर न रहे। प्रश्न होता है, नियम किस आधार पर बनाया जाय ? इसका उत्तर स्पष्ट है-७७ लव का एक मुहर्त, ३० मुहूर्त का एक अहोरात्र, १५ अहोरात्र का एक पक्ष और दो पक्ष का एक मास होता है। दो मास की एक ऋतु, तीन ऋतु का एक अयन और दो अयन का एक संवत्सर होता है।
असुरकुमार कााहार जघन्य चार भक्त में बताया है। चार भक्त का अर्थ-एक दिन श्राहार करे, फिर एक दिन और दो रात न खाकर तीसरे दिन खावे । इसे चतुर्थ भक्त कहते हैं। चतुर्थ भक्त उपवास की एंकं संज्ञा है।
नागकुमार की दो पल्योपम की स्थिति कही गई है। यह उत्तर दिशा के नागकुमार की अपेक्षा से है । दक्षिण दिशा के नागकुमार की अपेक्षा डेढ़ पल्योपम की ही स्थिति है। ।
.. मुहर्त पृथक्त्व का अर्थ है, ७७ लव बीतने पर एक मुहुर्त होता है और दो मुहर्त से लेकर नौ मुहर्त तक कोमुहूर्त । पृथक्त्व कहते हैं। दो से लेकर चौ. तक की संख्या सिद्धान्त में पृथक्त्व कहलाती है।