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कालचलितांदि-सूत्र इसका समाधान करने से पहले यह जान लेना आव. श्यक है कि चलित कर्म और श्रचलित कर्म की व्याख्या क्या है?
गाय को एक बार वाँधने के लिए लाते हैं और एक वार बाहर निकालने ले जाते हैं। यद्यपि गाय दोनों अवस्थाओं में चलित है, लेकिन बाहर निकलती हुई गाय बंधती है या वाँधने के लिए खूटे पर आई. हुई ? बँधने के लिए खूटे के पास आई हुई गाय वाँधी जाती हैं।
तो जीव के प्रदेश से. जो कर्म चलायमान हो गये, उन्हें जीव-नहीं, चाँधता, क्योंकि, वे ठहरने वाले, नहीं हैं। ऐसे कर्म चलित कहलाते हैं । इससे विपरीत कर्म अचलित, कहे जाते हैं।
व्याख्यान सभा में एक भाई आ रहा है और एक जा रहा है। एक भाई यहाँ सब को यथास्थान बैठाने वाला है। बैठाने वाला भाई उसी को विठलाएगा जो वैठने के लिए: धाया है। जो जा रहा है उसके बैठने के लिए व्यवस्था करने की क्या आवश्यकता है. जो रहा है और जो आ रहा है, दोनों ही चलित जान पड़ते हैं, लेकिन आने वाला. वैठने के लिए, आया है, अतएव वह स्थिर है, और जाने वाला चलित,है।
यही बात कर्म के सम्बन्ध में है। जीव. श्राने वाले कर्मों को वाँधता है या जाने वाले कर्मों को इसका उत्तर दिया गया है-श्राने वाले अर्थात् आये हुए कर्मों को । शास्त्रीय परिभाषा में जाने वाले-अर्थात् जो कर्म जीव-प्रदेश में नहीं रहने वाले हैं उन-कर्मों को चलित कहते हैं और सनसे विप..