________________
सप्तम्
(E4T4
: श्री जयशेखरसूरि कृत जैनकुमारसम्भव एवं महाकवि कालिदास कृत कुमारसम्भव का तुलनात्मक अध्ययन
कल्पना भी कवि की सर्जना शक्ति की विशिष्टता है
य लयं विहारेण यदन्तरीय इत्यादि । - ८/४-५
ऋषभदेव द्वारा स्वप्न फलों का कथन भी कवि की उदात्त कल्पना
शक्ति का द्योतक है।
********
(घ) जैनकुमारसम्भव एवं कुमार - सम्भव दोनों महाकाव्यों के नायक धीरोदात्त नायक के गुणों से युक्त होने के कारण धीरोदात्त नायक हैं। क्योंकि जैनकुमारसम्भव में जयशेखर सूरि जी नायक के अनिवार्य गुणों की ओर संकेत किया है जो इस प्रकार है- दाता, कुलीन, मधुरभाषी, वैभवशाली तेजस्वी तथा योगी एवं मोक्षकामी और उसका नायक ऋषभदेव इन गुणों से सम्पन्न है। जो धीरोदात्त नायक के गुण है। इसी प्रकार कालिदास का नायक कुमार कार्तिकेय है। उनका जन्म ही असुराधिपति तारक के आतंक से देवों की मुक्ति के लिए हुआ है अतः उनमें उत्साह, शूरता, दृढ़ता, तेजस्विता और बुद्धिमत्ता आदि गुण प्रचुर मात्रा में समाहित है। कुमार कार्तिकेय उच्च कुलीन शिव पार्वती के पुत्र है।
जगत्त्रयीनन्दन एष वीरः प्रवीरमातुस्तवनन्दनोऽस्ति ।
कल्याणि कल्याणकरः सुराणां त्वत्तोऽपरस्याः कथमेष सर्गः । । १
वे महान तेजस्वी और दिव्य शरीर वाले हैं
“ताभिस्तत्रामृतकरकलाकोमलं भासमानं
२३३