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षष्ठ पुरिद : जैनकुमारसम्भव की कलापक्षीय समीक्षा
संदर्भ :
जैन कुमार सम्भव-१०/६
वही, ३/१६
वही, ३/१९
वही, ५/६१
वही, ५/८१ वही, ३/५
वही, ३/६
वही, ३/२१
वही, ५/६२ __ वही, ५/७७
१.
वही, लङ्ग- उपसिष्टीष्टताम्-२/६७, संगसीष्ट-३/६३, अजोषिष्ट-३/३५, न्यदिक्षत-३/४०,
मायासिषम्-८/३१
कर्मणि लिट्- वैवधिकी वभूवे-३/५२, फलंजगे-४/२५, शब्दौपतस्थै-६/६३, स्वप्नैवभूवै
८/४०॥
प्रत्यय-तिसस्यापायिषु-६/२२, जगन्यान-८/४७, श्रवः पल्लवश्रम-१०/१४।।
जै० कु० सं०-७३
वही, ७/४
वही, ७७
वही, ७८
वही, २/३४ वही, २/३६