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पञ्चमपदि : जैनकुमारसम्भव मे रस, छन्द, अलङ्कार, गुण एवं दोष
१४५. वही, १/५६
१४६. वही, ६/६७
१४७. वही, ६/७३
१४८. वही, ८/३
१४९. का०प्र०, पृ०- २७१
१५०. जै०कु०सं०, ५/३९
१५१. वही, १/४
१५२. का०प्र०, पृ०-३५७
१४३. जै०कु०सं०, ५/५
१४४. जै०कु०सं०- १/३०
१४५. वही १/५६
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१४६. वही ६ / ६७
१४७. वही - ६ / ७३
१४८. वही ८/३
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काव्यप्रकाश पृ० २७१
१४९.
१५०. जै०कु०सं० ५/३९
१५१ . वही - ९/४
१५२. काव्यप्रकाश पृ० ३५७
१५३. जै०कु०सं० ५/५
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