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________________ चतुर्थ मदिरद : पात्रो का विवेचन/ और सुनन्दा के परिणय के अवसर पर स्वर्ग के विमान से आये हुए द्वारपाल द्वारा उसकी रक्षा की जायेगी। जिसपर देवता भी होगे। कन्ये इमे त्वय्युपयच्छमाने, जाने विमानैस्त्रिदिवेषुभाव्यम्। भूपीठ संक्रान्त सकान्तदेवै-रेकैकदौवारिक रक्षणीयैः।।१७ ___ तत्पश्चात् इन्द्र द्वारा स्वामी ऋषभदेव के विवाह के प्रस्ताव रखने पर मौन रूप से स्वामी जी द्वारा स्वीकार कर लेने पर शादी की तैयारी शुरु हो जाती है और तीसरे सर्ग में देवांगनाओं द्वारा सुमंगला के शरीर शृङ्गार का वर्णन है। जिसमें इन्द्राणी और उनकी चतुर सखियों द्वारा सुगन्धित तैललेपन, वस्त्राभूषण आदि के द्वारा संजाया जाता है। महाकवि जमशेखरसूरि द्वारा सुमंगला -सुनन्दा के वर्णन प्रसङ्ग में उनके गुणों का स्पष्ट सङ्केत किया गया है। उनका शरीर अत्यन्त सुन्दर है तथा पवित्र भावनाओं वाली, उत्तम गोत्र वाली, मेघ के तुल्य केश समूह वाली तथा कमल के समान मुखों वाली हैं। उनके कुच युगल पर कामदेव को क्रीड़ा करता हुआ वताया गया है। श्वेत, निर्मल एवं मनोहर वस्त्र को धारण करने पर वे स्फटिक के मियान में सुनहरी तलवार लिए हुए कामदेव व रति के तुल्य दृष्टिगत होती हैं। "तनुस्तदीया......मनोभवस्य"। ३/६८ साहित्यदर्पण में वर्णित नायिका भेद विश्लेषण के अनुसार इसे मुग्धा
SR No.010493
Book TitleJain Kumar sambhava ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyam Bahadur Dixit
PublisherIlahabad University
Publication Year2002
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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