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तृतीय परिच्छेद:
अध्याय
जैनकुमारसम्भव की कथा का मूल, कथा वस्तु तथा उस पर प्रभाव
३६.
मार्कण्डेय पु०- ५०, ३९-४१, कूर्मपुराण- ४१/३७-३८, वायु पु० (पूर्वाद्ध) ३३.५०-५२, अग्नि
पु०- १०.१०.११, ब्राह्मण पु०- १४.४९-६१, लिंग पु०- ४७.१९-२४
३७.
तस्य ह वा इत्थं वर्मणा
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चौजसा बलेन श्रिया यशसा......ऋषभ इतीदं नाम चकार।
भागवत पुन
३८.
येषां खलु महायोगी भरतो ज्येष्ठः श्रेष्ठ गुण आसीदेनदं वर्ष भारतमिति व्यपदिशन्ति आदिपुराण
वही, श्लोक- १००-१०१
वही, श्लोक- १०२-१०३
आदिपुराण- पञ्चदश पर्व श्लोक- १२३, १२४, १२५, १२६
४२.
वही, ५/१५८
वही, ५/१५९
जै०कु०सं०- ९-३४-७४
हेमचन्द्र-त्रिषष्टिशलाका पुरुष-१-२-८८६-८८७
जैन कुमार संभव- सर्ग-७-९
वही, ७-९
४८.
पद्मराया पदमाजिग पदमकेवली पदमतीत्थकरे पदमथम्मवर चकवटी समुप्पाज्जित्वा- जम्बद्वीप
प्रज्ञप्ति सूत्र- ३५