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तृतीय परिच्छेट :
जैनकुमारसम्भव की कथा का मूल, कथा वस्तु तथा उस पर प्रभाव
६/७४
जैन कुमार सम्भव-७/२४-५१
वही, ७/७०
वही, ७/४९-५९
वही, ९/२-२७
वही, १०/२-२३
वही, १०/३०-८४
वही, ११/२२
वही, ११/३१/३२
___ वही, ११/३३
वही, ११/४३
कुमार संभव- १.१-१६, १, जैन कुमार संभव- १.१-१६
कुमार संभव- १.२०-४९, जै० कु० सं०- १.१७-६०
वही, २.३.१५, जै० कु० सं०- १.२.४९-७३
वही, ३.१.१३, जै० कु० सं०- २.३.१-३६
वही, ७.७.२४, वही, ३.३.६०-८१, ४.१४-३२
वही, ७.९५, १. वही, (१) ६.२३
३४.
वही, सर्ग ८, २. वही, ६.२६
३५.
वही, ७-५६-५२, ३. वही, ३.५.३७-४५