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________________ ( ६३१ ) संकल्पादेव च तच्छ ते ।४।४।८॥ ___ एवं परप्राप्तिः केषाञ्चिदेवभवति तत्र हेत्वपेक्षायामाह भजनानन्दं दातुं यमेव संकल्पविषयं करोति स एवैवंप्राप्नोतीति भगवत्संकल्प एव तत्र हेतुः । तत्र प्रमाणमाह-तच्छुतेः-नायमात्मेत्युक्तस्य, यमेवैषवृषुते तेन लभ्य इति श्रुतिः श्रु यतेऽतः सएवात्र हेतुः । श्रुतौ प्रवचनादि निषेधः कृत इत्यत्राप्येवकार उक्तः । चकारातज्जनितव तदनुरूपा परमात्तिः संगृह्यते ।। पर प्राप्ति किसी किसी को ही होती है, जिसको भजनानंद देने का संकल्प भगवान करते हैं, उसी को प्राप्त होते हैं भगवत्संकल्प ही उनकी प्राप्ति में हेतु है । "नायमात्मा" इत्यादि श्र ति में स्पष्ट कहा गया है कि-"जिसे वे वरण करते हैं उसे ही प्राप्त होते हैं।" श्रुति में प्रवचन आदि का निषेध है, इस बात को सूत्रकार एवकार से बतलाते हैं तथा चकार के प्रयोग से बतलाते हैं कि-प्रभु कृपा जनित तदनुरूप परमात्ति भी होती है । अतएव चानन्याधिपतिः ।४।४।९॥ यतो हेलोः साधनं फलं चोक्तरीत्यास्वयमेव, नान्योऽतो हेतोस्तेषां हृदि साधनत्वेनफलत्वेन प्रमुरेव स्फुरति, नान्यस्तेनानन्यास्ते। तेषामेवाधिपतिः पुरुषोत्तमः । अन्यत्राधिपत्यं विभूतिरूपैः करोत्यतः सर्वस्याधिपतिरितिश्रु तिरपि तदभिप्रायेणैवेतिभावः चकाराद्, ‘‘मदन्यत्तेन जानन्ति नाहं तेभ्योमनागपि" इति भगवद्वाक्यं संगृह्यते । अन्यथा सर्वज्ञस्याकुण्ठितज्ञानशक्तेरेवं कथमयुक्तस्यादतः पुष्टिमार्गोऽनुग्रहैक साध्यः प्रमाणमार्गाद्विलक्षणस्तत्र विश्वासश्च तथेति सिद्धम् । ____ पुष्टिमार्गीय जीवों का वरण आदि रूप साधन जैसे भगवदनुग्रह से होता है, वैसे ही फल भी उनकी कृपा से स्वतः होता है, उन भक्तों के हृदय में प्रभु ही साधन और फलस्वरूप से स्फुरित होते हैं, उनकी इसमें कोई अन्य सहायक नहीं होता, इसलिये वे भक्त अनन्य है । इनके अधिपति पुरुषोत्तम हैं । पुष्टि मार्ग के अतिरिक्त प्रभु विभूति रूपों से आधिपत्य करते हैं, सर्वस्याधिपतिः श्रुति इसी अभिप्राय की द्योतक है।" मेरे अतिरिक्त वे भक्त किसी अन्य को नहीं जानते और मैं भी उनके अतिरिक्त कुछ और नहीं सोचता "यह भगवद् वाक्य भी उक्त कथन की पुष्टि करता है । यदि इसे नहीं मानेंगे तो प्रस्फुरित
SR No.010491
Book TitleShrimad Vallabh Vedanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhacharya
PublisherNimbarkacharya Pith Prayag
Publication Year1980
Total Pages734
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith, Hinduism, R000, & R001
File Size57 MB
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