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________________ पुनः विचार कर रहे हैं। सैतु आदि हेतुओ के परिच्छेद से धर्म का भेद सिद्ध होने पर भी, पूर्वाधिकरण सिद्धान्त से विरोध नहीं होगा। ननु समन्वयेन ब्रह्मत्वमुत्तरपादे नक्यं पूर्वाधिकरणेनाविरोध इति व्यर्थमिदमधिवरणम् इति चेन्न, अर्थबल विचारोऽयं समन्वये चोत्तरपादे च शब्द बल विचारः। धमि विचारान्न पूर्वेण गतार्थत्वम् । फलतः साधनेभ्यश्च प्रमेयाच्च प्रमाणतः, विचारेणावृहत् तच्चेत् कोऽन्यः साधायितुं क्षमः। यदि संशय करें कि समन्वय से ब्रह्मत्व, उत्तरपाद से ऐक्य और पूर्व अधिकरण से अविरोध का निर्णय कर चुके तब इस नए अधिकरण का क्या प्रयोजन है ? सो आपका संशय व्यर्थ हैं, इस अधिकरण में अर्थबल पर विचार करेंगे, समन्वय और उत्तरपाद में तो केवल शब्द बल पर विचार किया गया है। पूर्वाधिकरण में तो धर्म और ब्रह्म के सम्बन्ध में जो भेद विचार था उसका निवारण किया गया है, इस अधिकरण में धय॑न्तर सम्बन्धी संशय का निवारण किया जायगा । फल, साधन, प्रमेय और प्रमाण इन चार के सहारे उक्त तथ्य पर विचार किया जायगा, इनके अतिरिक्त, निर्णय करने के कोई और साधन नहीं हैं। अतो हेतून बाधकानाह, - एकदेश बाधकत्वात तत्रफलतोबाध हेतुमाह - सेतुव्यपदेशात् "अर्थ य आत्मा स सेतुर्विधृतिः" इति । दहर उत्तरेभ्य इत्यत्र ब्रह्मत्वमस्य सिद्धम् ।" अथ य इह आत्मानमनुविद्य ब्रजन्ति" इत्युपक्रम्य “सर्वेषु लोकेषु कामचारो भवति" इत्युक्त्वा कामानुपपाद्याज्ञान व्यवधानं ज्ञान प्रशंसार्थमुक्त्वा ज्ञानानन्तरं संसार सम्बन्धाभावाय सेतुत्वं वदति । पापाब्धितरणार्थ “यश्च तरति तद् गताश्च दोषा गच्छन्ति" इति च । अतः संसारफलयोर्मध्ये विद्यमानत्वात् तीर्णस्यैव फल श्रवणात फलरूपं वस्तु किंचिदन्यदस्तीति ज्ञायते । निधित्वेन फलवचनमवान्तरफलपरं भविष्यति एतमाननन्दभयभात्मानमुपसंकम्येत्यप्यत्रोदाहरणम् । तथा-उन्मान व्यपदेशात् । तत्रैव "यावान् वा अयमाकाशस्तावानेषोऽन्त हृदय आकाश" इति साधन मुक्ति प्रश्ने उन्मानेन परिच्छेदं निरूपयति । दृष्टान्तदार्टान्तिकत्वेन ज्ञानं साधनम् । तत्र बहिराकाश ज्ञानमपि साधनं भवति । चतुष्पाच्च ब्रह्म, भूतादि पादाश्च ज्ञातव्याः। तथा सम्बन्ध व्यवदेशात् । तत्रैव प्रमेय निरूपण प्रस्तावे उभावस्मिन्नित्यादिना आधाराधेय सम्बन्धो निरूपितः। अत्र च वस्तु
SR No.010491
Book TitleShrimad Vallabh Vedanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhacharya
PublisherNimbarkacharya Pith Prayag
Publication Year1980
Total Pages734
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith, Hinduism, R000, & R001
File Size57 MB
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