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________________ २६६ प्राण और इन्द्रियों की परस्पर विलक्षणता भी हैं, वागादि इन्द्रियों की सुप्तावस्था में भी प्राण जागता रहता है, स्वामि सेवक अनेक विलक्षणतायें हैं । भाव की तरह उनमें संज्ञामूत्तिक्लृप्तिस्तु त्रिवृत्कुर्वत उपदेशात् | २|४ | २० ॥ भूत भौतिक सृष्टिः परमेश्वरादेवेति निर्णीय नाम रूप व्याकारणमपि परमेश्वरादेवेति निश्चयार्थमधिकरणारम्भः । लोके नामरूपकरणं कुलालादिजीवेषु प्रसिद्धमिति । अलौकिकेऽपि स्थावरजंगमे मयूरादि संज्ञां मूतिं च जीवादेव हिरण्यगर्भा देर्भविष्यतीति बन्ध्यादि देवानां जीवरूपाणामेव वागादिरूपेणानु प्रवेशात् तत्साहचर्येण नामरूपयोरपि जीव एव कर्त्ता भवतीत्याशंकां निराकरोति तु शब्द : । भूत भौतिक सृष्टि परमेश्वर से ही है, इसका निर्णय करके, नामरूप का व्याकरण भी परमेश्वर ही है, इसका निर्णय करने के लिए अधिकरण का प्रारंभ करते हैं । लोक में नाम रूपकरण कुम्हार आदि जीवों के प्रसिद्ध है । अलौकिक स्थावरजंगम मयूर आदि नाम और स्वरूप हिरण्यगर्भ आदि जीवों से ही किये गए हो सकते हैं, वन्हि आदि देवता भी जीव रूप ही हैं जो कि वाग आदि रूप से जीवों की इन्द्रियों में प्रविष्ट हैं उनके सहयोग से जीवात्मा नाम रूप का कर्त्ता सिद्ध होता है । इस विचार का निराकरण सूत्रकार तु शब्द से करते हैं । संज्ञामूर्त्यो: क्लृप्तिनामरूपयोर्निमाणम् । त्रिवृत्कुर्वतः, यस्त्रिवृतकरोतितस्मात् । " सेयं देवतैक्षत हंताऽहमिमास्त्रिस्रो देवता अनेन जीवेनात्मनाऽनु प्रविश्य नामरूपे व्याकरवाणि इति । "ता सांत्रिवृतंमेकैकं करवाणि " इति । त्रिवृत् कर्त्ता परश्मेवरः, स एव नाम रूपयोरपि कर्त्ता, कुतः उपदेशात् । उपसमीपे एक वाक्ये उभयकरणस्य प्रतिज्ञानात् । जीवस्य तु त्रिवृत् करणानन्तरं शरीर संबंध कर्तृ त्वात् । तस्मान्नामरूप प्रपंचस्य भगवानेव कर्तेति सिद्धम् सूत्रकार सिद्धान्त बतलाते हैं करने वाला परमात्मा है जैसा कि के रूप से जीवात्मा में प्रवेश कर नाम रूप के तीन तीन रूप किये" इत्यदि वाक्यों से कि-नाम रूप का निर्माता, त्रिवृत्करण "उस देवता ने विचारा कि-- तीन देवताओं का विस्तार करूँ " उसने एक एक निश्चित होता है कि--- त्रिवृत्कर्त्ता
SR No.010491
Book TitleShrimad Vallabh Vedanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhacharya
PublisherNimbarkacharya Pith Prayag
Publication Year1980
Total Pages734
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith, Hinduism, R000, & R001
File Size57 MB
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