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________________ २१० (विवाद) उक्त विचार ठीक नहीं है, यह भिन्नं वाक्य है। प्रकरण में नियामक रूप से परमात्मा ही कहे गए हैं इसलिए एक कह सकते हैं वैसे तो सभी वाक्य इस भाव से एक हैं, प्राज्ञ परमात्मा ही सब में ज्ञेय कहे गए हैं। अन्यथा इन दो वाक्यों को एक नहीं कह सकते, क्योंकि दोनों का वर्ण्य विषय भिन्न है। नियामक भाव से तो अशब्द आदि वाक्य भी भगवत् परक ही मानना चाहिए। त्रयाणामेव चैवमुपन्यासः प्रश्नश्च ॥१४॥६॥ ___ ननु न वयं सर्व मेकं प्रकरणमिति वदामः । किंतु "इन्द्रियेभ्यः परा" इत्यारभ्य नाचिकेतमुपाख्यानमित्यंतं भिन्न प्रकरणं, तत्र प्रथमं पदार्थ निर्देशः, तदनु “एष सर्वेषु भूतेषु" इति पुरुष ज्ञानम् । अशब्दमिति प्रकृति ज्ञानम् । तस्मादेतत प्रकरणे सांख्य मत निरूपणाात् अशब्दत्वमसिद्धम् इत्याशंक्य परिहरति-त्रयाणामेवमुपन्यासः प्रश्नश्च । हम इस सारे प्रकरण को एक नहीं मानते किंतु "इद्रियेभ्यः परा" से प्रारंभ कर नाचिकेत उपाख्यान तक भिन्न प्रकरण मानते हैं । इसमें सर्व प्रथम पदार्थ का निर्देश किया गया है उसके बाद "एष सर्वेषु भूतेषु" इत्यादि में पुरुष संबंधी ज्ञान है तथा "शब्दम्" इत्यादि में प्रकृति संबंधी ज्ञान है, इस प्रकार इसमें सांख्य मत का ही निरूपण है, पापकी परमात्म पर अशब्दत्व की बात ठीक नहीं है इस आशंका को प्रस्तुत कर परिहार करते हैं कि-"त्रयाणां एवमुपन्यासः प्रश्नश्च" । अस्मदुक्त व्याख्याने त्रिप्रकरणत्वमन्यथा चतुष्प्रकरणत्वं स्यात् । तृतीया चैषा वल्ली । “स त्वमग्नि स्वर्गमध्येऽपि मृत्यो प्रबाहि तं श्रद्ध धानाय मह्यम्" इति प्रथमः प्रश्नः । "प्रब्रवीमि तदु मे निज्ञोध स्वयमग्नि नाचिकेत प्रजानन्" इत्यादि उत्तरम् । “येयं प्रेते विचिकित्सा मनुष्येऽस्ती. त्येके" इति द्वितीयः प्रश्नः । “देवैरत्रापि" इत्यग्रे उत्तरम् । “अन्यत्र धर्मा दन्यत्रा धर्मात्" इति तृतीयः प्रश्न । “सर्वे वेदायत् पदमामनंति" इत्यादिना उत्तरम् । एवमग्नि जीव ब्रह्मणां प्रश्नोत्तराणि । तत्र यदि सांख्य मत निरूपणीयम् इन्द्रियेभ्यः इत्यादि स्यात् ? तदा चतुर्थ स्याथुपन्यासः स्यात् । उपन्यासे हेतुः प्रश्नः अतएव पश्चाद् वचनम् । तस्य प्रकृतेऽभावाद स्मदुक्त रीत्या त्रीण्येव प्रकरणानीति सिद्धम् । उत्तर प्रश्ना भावार्थ चकारः।
SR No.010491
Book TitleShrimad Vallabh Vedanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVallabhacharya
PublisherNimbarkacharya Pith Prayag
Publication Year1980
Total Pages734
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith, Hinduism, R000, & R001
File Size57 MB
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