________________
चन्द्रगिरि के मन्दिर
५५
४. कत्तले बस्ति
यह मन्दिर १२४ फुट लम्बा और ४० फुट चौडा है। चन्द्रगिरि पर यह सबसे बडा मन्दिर है। गर्भगृह के चारो ओर प्रदक्षिणा है। नवरग से मिला हुआ एक सभा-भवन भी है और एक बाहरी बरामदा भी। बाहरी ऊची दीवार के कारण इस मन्दिर मे अन्धेरा रहता है। इसलिए इस मन्दिर का नाम कत्तले वस्ति (अन्धेरेवाला मन्दिर) पड़ा है। वरामदे में पद्मावती की मूर्ति है। इसीसे इसे पद्मावती बस्ति भी कहते है। इस मन्दिर मे प्रथम तीर्थङ्कर भगवान् ऋषभदेव की ६ फुट ऊंची मनोहर प्रतिमा है। दोनो वाजुओ पर दो चौरीवाहक खडे हुए है। मन्दिर के ऊपर का दूसरा खंड जीर्ण अवस्था में होने के कारण बन्द कर दिया गया है। यह मन्दिर होय्सल नरेश विष्णुवर्द्धन के सेनापति गङ्गराज ने अपनी मातुश्री पोचव्वे के हेतु सन् १११८ ई० के लगभग निर्माण कराया था। ५. चन्द्रगुप्त बस्ति __ यह मन्दिर २२ फुट लम्बा और १६ फुट चौडा है । चन्द्रगिरि पर यह सबसे छोटा मन्दिर है। इसमे लगातार ३ कोठे है। सामने वरामदा है। वीच के कोठे मे २३वें तीर्थकर भगवान् पार्श्वनाथ की मूर्ति है। दाएं कोठे में पद्मावती की और वाये मे कूष्माडिनी की मूर्ति है। वरामदे के दायें ओर यक्ष और वायें ओर सर्वाह्णयक्ष की मूर्ति है।। वरामदे के सामने के दरवाज़े की कारीगरी देखने योग्य है। घेरे के पत्थरो पर जाली का काम है। टयर प्रतकेवली