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श्रवणबेलगोल और दक्षिण के अन्य जैनतीर्थ
दीवारों और छत पर कभी अच्छी चित्रकारी बनी हुई थी जिसके निशान अब भी बाकी है । इसमे १६वें तीर्थङ्कर भगवान् शातिनाथ की ११ फुट ऊची खड्गासन मूर्ति है । २. सुपार्श्वनाथ बस्ति
यह मन्दिर २५ फुट लम्बा और १४ फुट चौडा है । इसमे ७ वे तीर्थङ्कर भगवान सुपार्श्वनाथ की ३ फुट ऊची पद्मासन प्रतिमा है । मूर्ति पर सप्तफणी नाग की छाया हो रही है ।
३. पार्श्वनाथ बस्ति
यह मन्दिर ५९ फुट लम्बा और २९ फुट चौडा है । इसमें एक गर्भगृह, एक सुखनासि, एक नवरङ्ग और एक ड्योढी
| वास्तुकला की दृष्टि से यह मन्दिर मनोहर है । दरवाज़े विशाल है। नवरङ्ग और सामने की ड्योढी की ओर बरामदे वने हुए है। गहर की दीवारे खम्भो और छोटी-छोटी गुम्मटो से सजी हुई है।
इसमे २३वे तीर्थङ्कर भगवान् पार्श्वनाथ की १५ फुट ऊची विशाल और मनोज्ञ प्रतिमा है, जिस पर सप्तफणी नाग की छाया है । | चन्द्रगिरि पर यही सबसे बड़ी मूर्ति है । मन्दिर के सामने मानस्तम्भ है जिसके चारो ओर यक्षयक्षणियो की मूर्तियाँ उत्कीर्ण है । नवरंग में एक गिलालेख मे सन् ११२९ ई० मे मल्लिषेण मलधारि के समाधिमरण का वर्णन है । यहा का मानस्तम्भ मैसूर के नरेश चिक्कदेवराज ओडेयर के समय मे (सन् १६७२ - १७०४) पुट्टेय नामक एक सेठ ने बनवाया था ।