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प्रवणवेल्गोल और दक्षिण के अन्य जन-तीर्थ हलेविड में माज जैनियो की आवादी नहीं है । सडक के एक ओर होने के कारण उत्तर भारत के यात्री भी वहां कम जाते है। देणर ____ यह ग्राम दक्षिण कनारा (कर्णाटक) मे हलेविड से लगभग ६० मील है। यहा पर श्रवणवेल्गोल के भट्टारक चारुकीति की प्रेरणा से सन् १६०४ ईस्वी में चामुण्डराय के कुटुम्बी थिम्मराज ने भगवान् वाहुवली की ३७ फुट ऊंची खड्नासन प्रतिमा प्रतिष्ठित कराई थी। थिम्मराज ने एक मन्दिर शातिनाथ भगवान् का निर्माण कराया। गोम्मटेश्वर की मूर्ति गुरपुर नदी के बाए तट पर प्राकार में अत्यन्त मनोज्ञ और मनोहर दिखाई देती है। इनके अतिरिक्त वेणूर में ४ मन्दिर और है। एक मन्दिर मे तो एक हजार से अधिक प्रतिमाए विराजमान है।
मूडबद्री
" वेणूर से मगलोर जिले मे मूडबद्री केवल १२ मील है। यहा जो धर्मशाला है उसमे एक समय में १०० से अधिक यात्री नही ठहर सकते। मूडबद्री किसी समय जैन विद्या का केन्द्र रहा है । वहा के शास्त्रभडारो तथा मन्दिरो का प्रवन्ध भट्टारक और पंचो के आधीन है। आज भी वहा के शास्त्रभडारो में अनेक अनुपलब्ध ग्रथ ताडपत्रों पर अकित है । धवलादि सिद्धातग्रथो की एकमात्र प्राचीनतम प्रतिया यही सुरक्षित है।
यहा पर कुल २२ मन्दिर है। इनमें चन्द्रप्रभु का मन्दिर,