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________________ (४५) ज्यादा अर्ध पुद्गल परावर्तन में मोक्ष जा सकता. (१७) प्रश्नः समकिती जीव मरके कहां उत्पन्न होते है ? ... उत्तरः मोक्ष में, वैमानिक देवों में या कर्म . भूमि के मनुष्यों में. मगर समकित की प्राप्ति हुइ उसके पहले आयुकर्म का वंश होगया हा तो चार गति में उत्पन्न हो सकते हैं. (१८) प्रश्नः अमुक मनुष्य समकिती है या नहीं वह कैसे मालूम हो सकता है ? उत्तरः समकित आत्मा का गुण होने से अरूपी है __जिस से ज्ञानी ही सिर्फ जान सकते हैं ताहम . भी जिसमें निम्न लिखित पंच लक्षण देखने में आते हैं वह समकिती हैं ऐसा अनुमानसे ' कह सकते हैं. 'शम-उपशम भाव. क्रोध, मान. माया व . लोभ को शांत किये हैं, ( उपशमाये है) (अनंतानुबंधी कपायका उदय . .उसमें होता ही नहीं). संवेग-इंद्रिय जन्य सुख-पौद्गलिक सुख को मिथ्या समझ कर आत्मिक सुख को ' . . . ही सच्चा सुख समझे. निर्वेद-संसारको जेलखाना समझ कर उदा. :: सीन रहे.. ... अनुकंपा-दुःखी जीवों पर दया रक्खें व उनका ... .. दुःख निवारण करने का प्रयास करें. आस्था-जिन वचन पर संपूर्ण श्रद्धा रखे.
SR No.010488
Book TitleShalopayogi Jain Prashnottara 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharshi Gulabchand Sanghani
PublisherKamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer
Publication Year
Total Pages85
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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