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राम रसिक अरु रामरस, कहन सुननको दोय ।
जब समाधि परगट भई, तब दुविधा नहि कोय ॥ '.. नंदन वंदन थुति करन, श्रवण चितवनः जाप ।
पठन पठावन उपदिशन, बहुविधि क्रिया कलाप । -: "शुद्धातम अनुभव, जहां शुभाचार तिहि नाहि । ..... ... करम करम मारग विषे, शिवमारग शिव माहि ...और भी जनसाहित्यमें अच्छे २ ग्रेय हैं उनमें से श्रीयुत कवि वृन्दावनजों के पुत्र अनितदासने भैत सामायण जिसमें कि ७१. अध्याय है, रची हैं। काव्यदृष्टिसे यह मी अनुपम कविता है । इसमें तुलसीदाप्तमीकी तरह निर्मूल विवेचन नहीं किये गये हैं। ... जैनकाव्यनिकुंजमें "बुधजनसतसई" मी बहुत उत्तम ग्रंथ है। इसकी वानग के लिये हम नीचे लिखते हैं
आपने पहिले १०० श्लोकोंमें जिन स्तुति की है उनके दो श्लोक. यह है. तीन लोकके पति प्रभु तीन लोकके तात् ।। ... त्रिविधि शुद्ध बन्धन करूं, त्रिविधि ताप मिट जात् ।।
मन मोहो मेरो प्रभु, सुन्दर रूप अपार ।
· इन्द्र सारिखे थकंग, करि करि नैन हजार..... __... आमे जाकर इसी ग्रंथमें बहुत ही अच्छी २ शिक्षायें, तथा शुभ नीतिन है। जिनको पढ़कर माचर्य होता है। .
प्रिय पाठकों, अब आपका समय नहीं लेना चाहता है बल्कि इसी कथनको . उपसंहारसे कहता हूं। . . ........... .... संसारमें संस्कृत काव्यसागर के समान कोई भी काव्य इस जगतमें नहीं हैं, तिम
- संस्कृत काव्यसागरमें भी नैन काव्यप्तागर अत्यंत विस्तीर्ण है तथा इसके अन्दर वह वह . रत्न उपस्थित हैं कि यदि काव्यरसिकवृन्दोंने इसको छाना तो उन रत्नों को प्राप्त होगी। - जो कि नैनियों के लिये ही वे. भूषण नहीं होगे वरिक इस ३० कोटि जनसंख्यावाले मारत
के लिये अनुपम प्रदर्शनीयका स्थान पावेंगे। तथा जैन हिन्दीकाव्यपुंज भी हिन्दी काव्यनिकुंजमें अनुपम, वैराग्यके रससे अमृतको पिलाता हुआ, दीन हीन भारत के रक्षक असहयोगकी जान अहिंसाके सूक्ष्मः । तत्त्वोंकी शिक्षा देकर इतिहासमें अपना सर्वोपरि नाम लिखवा सकता है। .ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।
भाच्चरणाम्बु नलगन । स्वततेच्छुक-वनवारीलाल स्याद्वादी, शास्त्रीयखंड, मोरेना (ग्वालियर) ।
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