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ने फिर कहाकी तूमूर्खानन्दनी है पत्थरकी गो कभी नहीं दूधकी आलापूरी करेगी,आगे इष्ट देव की मूर्ति को सासु झुक झुक सीस निवाने लगी और बहुको भी कहने लगी कि तूं भी झुक तब बहु वोली कि इसके आगोसरनिवाने से क्या होगा तब सासु बोलीदूधदेगा पूत देगा स्वर्ग देगा मुक्ति देगा तब बहु बोली यथा__छप, पर्वत से पाषाण फोडकर सिला जो लाये वनी गौ और सिंहतीसरे हरी पधराये। गौ जो देवे दूध सिंह जो उठकर मारे दोनों वातें सत्य होय तो हरी निस्तारे तीनों का कारण एक है फल कार्य कहे दोय दोनों वातें झूठ हैं तो एक सत्य किम होय । सासू लाजवाब हुई घर को आई फिर न गई। (६) पूर्वपक्षी-भला तुम मूर्ति को तो नहीं