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कहा सो ठीक है परन्तु
( ३५ ) को चोर के बन्धनों को देखके वैराग्य हुआ और प्रत्येक बुद्धियों को बैल वृक्षादि देखने से वैराग्य हुआ तो क्या वे चोर बैल वृक्षादि वंदनीय हो गये अपितु नहीं ॥ पूर्वपक्षी - आपने वस्तुका स्वरूप सुनने की अपेक्षा वस्तुका आकार देखने से ज्यादा और जल्दी समझमें आजाता है, जैसे मेरु (पर्बत) लवण समुद्र भद्रशाल वन गंगा नदी इत्यादिकों के लंवाई चौड़ाई ऊंचाई आदिक वर्णन सुनके तो कम समझ बैठती है और उनके मांडले (नकसे ) देख के जल्दी समझ आजाती है ऐसे ही भग वान् की तारीफ सुनने की अपेक्षा भगवान् की मूर्ति देखने से जल्दी स्वरूप की समझ पड़ती है । उत्तर पक्षी - हांहां सुनने की, अपेक्षा (निस
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