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( ३४ ) नहीं ताते कामराग की उपमा वैराग्य पर उतारते हो विन सतगुरु हृदय के नयन कौन खोले अरे भोले स्त्रीकी मूर्तियोंकोदेखकेतोसवी कामियोंका काम जागता होगा परन्तु भगवान् की मूर्तियों को देखके तुम सरीखे श्रद्धालुओं में से किस२ को वैराग्य हुआ, सो बताओ? हे भाई ! काम तो उदय भाव (परगुण है) उसका कारणभी स्त्री वा स्त्रीकी मूर्तिआदिभी परगुण हीहै और वैराग्यनिजगुण है उसका कारणभी ज्ञानादि निजगुण ही है. इस का विस्तार मेरी बनाई हुई ज्ञान दीपिका नाम पुस्तक में इसी प्रश्नके उत्तर में लिखा गया है अथवा किसी को किसी प्रकार मूर्तियें देखनेसे वैराग्य आभी जायतो क्या वह वैराग्य आने से पूर्वोक्त मूर्तियें आदिक वंदनीय होजायेंगी, जैसे समुद्र पाली