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नो आगम द्रव्य आवश्यकके भेदोंमें जाणग शरीर भविय शरीर कहे हैं।३। .
भाव आवश्यकमें उपयोग सहित आवश्यक का करना कहा है। इन उक्त निक्षेपोंका सूत्रमें सविस्तार कथन
अब इस ही पूर्वोक्त अर्थको दृष्टान्त सहित लिखते हैं।
१ नाम निक्षेप यथा किसी गूजर ने अपने पुत्रका नोम इन्द्र रख लिया तो वह नाम इन्द्र है उसमें इन्द्रका नामही निक्षेप करा है अर्थात् इन्द्रका नाम उसमें रख दिया है परंतु वह इंद्र नहीं है इन्द्र तो वही है जो सुधर्मा सभामें ३२ लाख विमानोंका पति सिंहासन स्थित है उस में गुण निष्पन्न भाव सहित नाम इन्द्रपनघट