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( १६१ ) का श्वेतवस्त्र धारणेकामार्ग है । और पीतांवरियों का कल्पित नया मत निकला है क्योंकि यशोविजय जी ने तो इसी लिये विक्रमीसंवत् १७०० के अनुमान में श्वेत वस्त्र त्याग कर रंग दार वस्त्र किये हैं जिस को २५० अढ़ाई सौ वर्ष का अनुमान हुआहै और फिर दूर करने (छड़ने कोभी लिखाहै परन्त देखिये इस कारणीक कल्पित (झूठे रंग दार वस्त्रोंक) भेष के धारिणे का पीताम्बरीये कैसा हठ पकड़ रहे हैं और चरचा करते हैं कि महावीर जी के शासन के वही साधु हैं जो पीले वस्त्र धारण करते हैं सो यह मिथ्यावाद हे ॥
द्वितीय आत्माराम ने केसरिये (पीले) वस्त्र पहरने का मत निकाला क्योंकि इनके बड़े यति लोक कई पीढ़िये एलियाम्बरी एलियारंग)वस्त्र