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( १४ ) आदि से पूजा सत्कार आदि करके प्रभावना करूं तीर्थ की उन्नति करता हूं ऐसा कहने को हे गौतम सच नहींजानना भला नहींजानना, हे भगवन् किस लिये आप ऐसा फरमातेहोकि उक्त कथनको भलानहीं जानना;हे गौतम उस उक्त अर्थकेअनुसारअसंयमकीवृद्धि होयमलिन कर्मकीवृद्धिहोय शुभाशुभकर्म प्रकृतियोंकाबंध होय,सर्वसावद्यका त्याग रूप जोबत है उसका भंगहोय,व्रतकेभंग होनेसे तीर्थंकरजीकी आज्ञा उलंघन होय आज्ञा उलंघन से उलटे मार्गका गामी होय उलटे मार्ग के जाने से सुमार्गसे विमुख होय, उलटे मार्ग के जाने से सुमार्ग विमुख होने से, महा असातना वढ़े तिससे अनंत संसारी होय इस अर्थ करके गौतम ऐसे कहता हूं कि तुम पूर्वोक्त कथन को सत्य नहीं