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( १४२ ) उत्तरपक्षी-सूत्रों में तो पूर्वोक्त धर्म प्रवृति में मूर्ति पूजा का जिकर ही नहीं परन्तु तुम्हारे माने हुये ग्रंथों में ही निषेध है परन्तु तुम्हारे बड़े सावधाचार्यों ने तुम्हे मूर्ति पूजा के पक्ष का हठ रूपी नशा पिला रक्खा है जिससे नाचना कूदना ढोलकी छैना खड़काना ही अच्छा लगता है और कुछ भी समझ में नहीं आता है ___ पूर्वपक्षी-कौन से ग्रंथ में निषेध है हमको
भी सुनाओ। ___ उत्तरपक्षी-लोसुनो प्रथम तो व्यवहारसूत्रकी चूल का भद्रबाहु स्वामीकृत सोला स्वप्न के अधिकार पंचम् स्वप्न के फल में यथा सूत्र (पंचमे दुवा लस्सफणी संजुतोकएह अहि दिठो तस्स फलं तेणं दुवालस्स वास परिमाणेदुक्का