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उसके मरते तक पांच सात मरगये जब उसक मरजाने पर परिवार गिना गया कि इसके बेटे पोते कितने हैं तो कहा कि १०० परन्तु ७ तो मर गये ९३ वें हैं तो कहाआनन्दजीवणमरण तों सबके ही साथ लग रहा है परन्तु भागवान् था जिसके ९३ वें बेटे पोते मौजूद हैं, बाग बाड़ी खिलरही है, यदि सो १०० में से ९० मरजाते, बाकी मरनेपर १० बचते तो बड़ा अफसोस होता कि देखो कैसा भाग्यहीन था जिसके १०० बेटे पोते हुये और मरते तक सारे खप गये बाकी १० ही रहगये इसी तरह क्या ऋषभ देव भगवान्के ५० वा ६० कोड़ चेले थे क्योंकि शत्रुंजय महात्म्य ग्रंथ कर्ता एक एक साधु के साथ में पांच२ क्रोड़ मुक्ति हुये लिखता है तो न जाने ऋषभदेवजी के कितने क्रोड़ साधु होंगे