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( १३६ ) मुनि दो २ कोड मुनियों के साथ मुक्त हुए पांच पांडव २० ऋड़ मुनियों के साथ मुक्त हुए इत्यादि अब देखिये कैसे बडे गपौड़े हैं, क्योंकि सूत्र समवायांगजी तथा कल्पसूत्रमें तो ऋषभ देवजीके साधुही कुल ८४ हजार लिखे हैं और नेमनाथजी के १८ हज़ार तो फिर ५ कोड़ और दो २ क्रोड़ सुनियों ( साधुओं) कि फौज शत्रु जय महात्म्य वाला कहांसे लाये लिखता है, यदि ऐसा कहोगे कि यह पूर्वक प्रमाण तो तीर्थंकर के निर्वाण पर किया हुआ लिखाजाता है पहिले बहुत होते हैं, तो हम उत्तर देंगे कि हां यह ठीक है कि पहिले अधिक होंगे परन्तु कोड़ों तो नहीं क्योंकि जिसके पुण्य योग सौ १०० मनुष्य की संप्रदाय होय अर्थात् किसी पुरुषके १०० बेटे पोते हुये तो उनमें से