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( १२४ ) . अर्थ मंडित करे सारीमेदिनी मंदिरोंसे परन्तु दानादि चार करके १२ में देव लोक में जाय इत्यर्थः द्वितीय इसमें यह भी प्रमाण हैं कि प्रथम इस ही निशीथ के ३ अध्याय में मूर्ति पूजा का खण्डन लिखा है जिस का पाठ और अर्थहम २४ में प्रश्न के उतर में लिखें गे, ताते निश्चय हुआ कि यहां भी खण्डन ही है क्योंकि एक सूत्र में दो बात तो हो ही नहीं सकती हैं कि पहिले मूर्ति पूजा खण्डन पीछे मण्डन यदि ऐसा होतो वह शास्त्रहीक्या इत्यर्थः _(२२) पूर्वपक्षी-ठहर२ के क्यों जी (कयबलि कम्मा) इस पाठका अर्थ क्या करते हैं ।
उत्तर पक्षी-हंस कर जो इसका अर्थ है स्नानकी पूर्ण विधिका सो करेंगे बलिकर्मबल वृद्धि करने के अर्थमें बल धातुसे बलिकर्म आदि