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( ५ ) भी आया है कि अनुमानसे ७७०० सै वर्षोंके लिखितकी श्रीज्ञाता धर्म कथा सूत्र की प्रति है जिसमें इतना ही पाठ है यथा (तएणं सादो वइ रायवर कन्ना जेणेव मज्जण घरे तेणेव उवागच्छइ २त्ता मज्जनघर मणुप्पविसइ २त्ता एहायाकयवलिकम्मा कय कोउय मंगल पायछित्ता सुद्ध पावेसाइ वत्थाई परिहियाइंमज्जण घराओ पडिणिक्खमा रत्ता जेणेव जिनघरे तेणेव उवागच्छइं रत्ता जिनघरमणु पविसइ २त्ता जिन पडिमाणं अच्चणं करेइरत्ता) बस इतनाही पाठ है ओर नई प्रतियों में विशेष करके पूर्वोक्त तुम्हारे कहे मूजव पाठ है ताते सिद्ध होता है कि यह अधिक पाठ पक्षपात के प्रयोग से प्रक्षेप अर्थात् नया मिलाया गया है ॥