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( ३८ ) मूलपाठ से अर्थ होता है और यह संबन्धार्थ होता है और यह टीका टब्बकारोंका सूत्रार्थसे मिलता अर्थ है यह पक्षहै यह नियुक्ति भाष्य कारोंका पक्ष है और यह कथाकार गपौड़े हैं और इस में यह तर्क वितर्क है इत्यादि प्रश्न उत्तर कर केलिखा जाता है। ___ प्रश्न-मूर्तिपुजक सूर्याभ देवने जिन पडिमा
पूजी है। __ उत्तर-चेतन पूजक देव लोकों में तो अकृत्रिम अर्थात् शाश्वती बिन बनाई मूर्तियें होती हैं और देवताओं का मूर्ति पूजन करता जीत व्यवहार अर्थात् व्यवहारिक कर्म होता है कुछ सम्यग् दृष्टि और मिथ्या दृष्टियों का नियम नहीं है कुल रूढीवत् समदृष्टि भी पूजते हैं, मिथ्या दृष्टि भी पूजते हैं।