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________________ सस्कृत, प्राकृत तथा अपभ्रण की आनुपूर्वी मे कोश माहित्य ३६१ मिलता है, जो इसकी अपनी विशेषता है। ऐसे कई नये शब्द है जो पर्यायवाची रूप मे मिलते हैं ।५३ अनेकार्थध्वनिमजरी महाक्षपणक कृत 'अनेकार्थध्वनिमजरी' के सम्बन्ध मे अभी तक विशेष ऊहापोह नहीं हो सका है। यह शब्दकोश प्रकाशित हो चुका है। इसका सम्पादन क्षुल्लक सिद्धसागर महाराज ने किया है। उनका कथन है कि यह महाक्षपणक जैन मुनि की रचना है जमाकि वासवे श्लोक मे जिन शब्द के अर्थ करने से प्रतीत होता है ५४ इसी प्रकार समिति का अर्थ 'समय' और 'स्व' का अर्थ 'आत्म' से भी पता चलता है कि ग्रन्थकार जन होगा। ___'अनेकार्थध्वनिमजरी' एक लधुकाय रचना है। इसमे कुल २२४ श्लोक हैं। यह कोश तीन परिच्छेदो मे निवद्ध है । प्रथम श्लोकोविकार मे १०४, द्वितीय अर्द्धलोकाधिकार परिच्छेद मे ८७, और तृतीय पादाधिकार परिच्छेद मे ३३ श्लोक है। यह एक अनेकार्यक कोश है । इसके प्रथम परिच्छेद मे एक श्लोक मे एक शब्द के अनेक अर्थो का उल्लेख किया गया है। दूसरे परिच्छेद मे केवल अर्द्ध श्लोक मे ही शब्द का अर्थ वर्णित किया गया है और तृतीय परिच्छेद मे चौथाई श्लोक मे एक शब्द के जाक अर्थ निव है । कुछ नवीन शब्दो का सकलन भी इस कोश मे मिलता है। उदाहरण के लिए, चुवर (लोमवस्त्र, ऊनी कपडा), तुरायण (क्रियाहीन), तोक (पुत्र), भूकुडी (शूकर, किसान), पासुरा (चलनी, छज्जा), प्रहि (कूप, सरोवर)इत्यादि । सामव है कि इस तरह के कुछ शब्द देशज हो जो परम्परा से शब्दकोश मे सकलित होकर उन-उन अर्थ के वाचक हो। द्विरूपकोशनिवण्टु इस शब्दकोश के रचयिता हर्ष कवि हैं । कोश संस्कृत श्लोको मे निबद्ध है और आज दिन तक अप्रकाशित है । इस कोश मे कुल २३० श्लोक है। इस ग्रन्थ की ताडपत्रीय प्रति श्री दिगम्बर जैन म० के शास्त्र-भाण्डार मे साउथ आरकाड के जिजी जिला के अन्तर्गत चित्तामूर मे सुरक्षित है । इसके १७ ताडपत्र है । अनुमान यही किया जाता है कि यह जैन कवि की रचना है। वहाँ पर १४० ताडपत्रीय ग्रन्थ हैं जो सभी जैन विद्वानो की रचनाएँ है। उनमे से अधिकतर प्रकाशित हो चुकी हैं । किन्तु कई अज्ञात रचनाएं भी वहाँ पर उपलब्ध है। एकाक्षरनाममाला इसके रचयिता जैन मुनि विश्वशम्भु हैं । यह ११५ श्लोको मे निबद्ध लघुकाय
SR No.010482
Book TitleSanskrit Prakrit Jain Vyakaran aur Kosh ki Parampara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmalmuni, Nathmalmuni, Others
PublisherKalugani Janma Shatabdi Samaroha Samiti Chapar
Publication Year1977
Total Pages599
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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