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धर्म-देशना क्यो और किस लिए ? ८१
करते देखा। उसकी पीड़ा का मूल कारण खोज कर उसके घावो पर मरहम लगाने का भी रचनात्मक प्रयत्ल किया । वे सामाजिक मच पर केवल समस्याएँ लेकर ही नहीं आए, समस्याओ का समाधान लेकर भी आए ? वे नाड़ी के परीक्षक, केवल वैद्य ही नही थे, कुशल चिकित्सक भी थे । उन्होने अपने सतत क्रियाशील जीवन से सिद्ध कर दिया कि निःस्वार्थ तथा निष्काम युग-दृष्टा ही समाज का सच्चा पथ-प्रदर्शक हो सकता है।