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________________ विजयनगरकी शासन व्यवस्थानधर्म। [७३० mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmसुनसानमाविकोंसे व्यापारी बाते मोर गाते थे। फोरम(Orms), कालीकट, मंगोरे भोर खंभात उल्लेखनीय.दरमाइथे। बोस्सा समुद्र के मध्य स्थित था। भन्दुक रज्जाककी हिमें उसके समक. दूपरा बंदरगाह दुनिया में नहीं था। (Ormaj... has not its equal on the surface of the globe). कागेकटका बन्दरगाह भी ओस्मनके समान सुरक्षित और बड़ा दरमहा भबीसीनिया, निस्वाद, नंजीवार और हेमानस नाम माविकतर भावा करते थे और यहांको सुरक्षित स्थिति और पापारिक सुविधाके कारण अधिक समय तक ठहरते थे। यहाँ रहे चतुर और साहसी नाविक (Sailors) गते थे। उनके कारण समुद्र के लुटेरे कालीकटके महाजोंको टनेका साहस ही नहीं करते थे। निकिटिन (Nikitin) नामक यात्री के शो में खम्भात उस समय सारे भारतीय महासागर बहाजोंके लिए प्रमुख बंदरगाह था और वहां प्रत्येक प्रकारकी व्यापारिक वस्तुयें तैयार कीजाती थीं। साशतः विजयनगर राज्यों बापाकी मुपस्थित वृद्धिस देश समृदिशाकी हुमा था। यहांक कोग बहुत ही सभ्य और उचकोटिका जीवन व्यतीत करते थे। भावना निकिटिन नामक ( Athanasius Nikitin ) यात्रीने लिखा है कि भारतमें दैनिक जीवनका व्यय अन्य देशोंकी पेश अत्यधिक वा। नाब जिस प्रकार जमरीकाको समृदिने यहाँका दैनिक 1-Major PEp. -4 पृष्ठ १३-१७३-ही, मा. २०१९। 4-Living. in India is remexper weitosinjor-P: 28%
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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