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________________ m m mmmmmmmmsamasummer मकालीन बैन साहित्य मोर कला। [१५७ मंदिरोंको भी किये हु । म नगरके हदय की पार्श्वभर बस्ति । नामक सुन्दर मंदिर बा, बिसके गर्भगृह, सुखनासि, यक्षिणा, पाल और चौकोर स्मों सति नरंग मोर मुसमंदर दर्शनीय प। यह सन् १९००से पूकी कृति दी। गर्भगृहमें एक फुट उंची कृष्ण पाषाणकी जिनमूर्ति विराजमान है। नवरंग तीर्थर पार्थकी तीन मतियां है। कमी भागमें भी बिनमति है। नीचे के मागमें एक मुनि-पति मजकी भाति बनी हुई है, वो एक गनीको पर्भासदारहे है गनीपर उसकी परिचारिका चंगर का रही है। समय सना है। मंदिर निगोड निवासी विजयनारायण कातिसहित मारिट्टिकी..स्मृतिमें बनाया मया था। (1) अङ्गदिमें कई जिनमंदिर शनीय है, जिनमें नेमिनाव राप्तीका लोग्ण एक सुन्दर कलाकृति है. वो बस्तिहल्ली के नादिनार मंगिक तोग्णके समान है। यह दिक्षास और यक्ष-यक्षियोंकी मर्तियां मा कामय बनी हुई है। . (५) मेलिगे नामक छोटेसे ग्राममें जो नीहाली 2 मीक दूर दक्षिण में है, अनंतनावगम्ती नामक जिनमंदिर दर्शनीय है। या मंदिर सन् १६०८ में पुन: बनाया गया था। मानाम बहुत ही अन्दर कातिti सके सम बनी हुई शिलि नयनाभिराम बैसर स्टेटमें इसके बोड़ा दुसरा कोई भी प्राचीन ममी है। I-ASM-1931.P.5. -1b9 % 8:. . ..
SR No.010479
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages171
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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