________________
विजयनमस्कीवास व्यस्तरबैनधर्म १०१ अधिक १८ कम्मणों की गौर-जाने एक पंचायत बनसीgat की, उसके प्रमुख महे थे। माशय कि प्रवा मसको भाका बहिलपी मानती थी। वह एक मादर्श शासक बोये। जैक पर्व के रोम-रोममें समाया हुमा था । उनको साक्षात् पुकार पर मेहरा नाता था। धर्मके मंगलरूप नकुलाचारका बम्होंने पुनरोदा किया था। उनकी सत्कीति मुनाविल्यात् थी। उनकास सपना इसी लिये ब्रमने प्रतिज्ञाकी की कि 'मैं जिनदेषके अतिरिक किसी बम देवको नमस्कार नहीं करूंगा। उस समय जैन की स्थिरता के लिये इस प्रकारको प्रतिक्षायें काना मायकी। बिनदेव ही एकमात्र उनके हरयासन १५ विराजमान थे। बता कामदेवकी गति के लिये उनके चित्र स्थान ही नहीं था। रामबुकियों और परदायों के लिये वह महोदा थे। कामदेवको उन्होंने बीत लिया था। शान्तिनाब उनके पिता भोर पा उनकी माता बी1 बाईसेन उनके गुरु थे। नी मात्र उनके सगे सम्बन्धी थे। ऐसा उनका वात्सल्य धर्म था। निसन्देह एक महान वीर, कीतिब, सम्बतबसाकरतिकक, नमानिनस, और सकोगनासमान मानने को कोई नहीं था। मानन्द गौरपयुक्त
विकर मोगर ब्रमने सासं० १३०१ में सन्यास माण के वर्गहरेकको मान किया था। ( ASM., 1942, pp. 181-184 Taranaadi lavorip: No. 68). स्वानिषिके सामन्त बननमा ।
(निवि) के सामन्त बैनर्मक